खेल मोबाइल & गैजेट्स टेक मनोरंजन दुनिया
---Advertisement---

खुद से ही थक चुके लोग: 2025 में युवा भारत की अनकही कहानी

On: July 29, 2025 12:15 PM
Follow Us:
---Advertisement---

चुप्पी के भीतर चीखते सवाल

“मैं थक गया हूँ — लेकिन किसी को बता भी नहीं सकता।”

ये एक IITian का वॉट्सऐप स्टेटस था, जिसने कुछ दिनों बाद आत्महत्या कर ली।

2025 की युवा पीढ़ी दुनिया की सबसे तेज़ डिजिटल, सबसे तेज़ सोशल, और सबसे ज़्यादा ‘कनेक्टेड’ पीढ़ी मानी जाती है — लेकिन क्या हम अंदर से टूट चुके हैं?

 आंकड़े बताते हैं लेकिन समाज चुप है

  • NCRB के अनुसार, हर दिन 35 युवा आत्महत्या करते हैं।
  • WHO रिपोर्ट (2024): भारत में 15–30 उम्र के बीच लगभग 45% युवा anxiety, burnout या chronic stress से जूझ रहे हैं।
  • ग्रामीण और छोटे शहरों के युवाओं में यह मानसिक दबाव और भी ज्यादा है — क्योंकि mental health अब भी एक ‘शर्मनाक’ विषय माना जाता है।

 स्कूल-कॉलेज में ‘सफलता’ नहीं, संघर्ष

स्कूलों में बच्चों को नंबर लाने की होड़, कॉलेज में प्लेसमेंट की रेस, और फिर घरवालों की उम्मीदें —
हर मोड़ पर युवा खुद को कमतर” महसूस करता है।

“हर किसी को लगता है मैं अच्छा कर रहा हूं, लेकिन मैं अंदर से खाली हो गया हूं।”
— एक स्टार्टअप में काम कर रहे 24 वर्षीय युवक की गुमनाम बातचीत

 मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं — सिर्फ अमीरों के लिए?

भारत में licensed psychiatrists और counselors की संख्या 1 लाख युवाओं पर सिर्फ 0.75 है।
गांवों में तो ये सुविधा नाम मात्र भी नहीं है।

सरकारी योजनाएं या तो कागज़ों पर हैं, या फंडिंग की कमी से दम तोड़ चुकी हैं।

 डिजिटल थकान: स्क्रीन की रोशनी, मन की अंधेरी रात

24×7 सोशल मीडिया पर comparison culture,
influencer lifestyle का दबाव,
और constant notifications ने mental exhaustion को नया नाम दिया है — Digital Fatigue

आज का युवा relax करने के लिए फोन खोलता है, और और ज्यादा थक जाता है।

 रास्ता क्या है?

  1. Mental health को ‘health’ का हिस्सा माना जाए, शर्म नहीं।
  2. स्कूल-कॉलेज में सुनने वाले और समझने वाले काउंसलर नियुक्त किए जाएं।
  3. Online therapy platforms को बढ़ावा दिया जाए, ताकि affordability बढ़े।
  4. परिवारों को sensitization की ज़रूरत है —
    ताकि क्या depression है? कुछ नहीं होता!” जैसी सोच बदले।

 युवा खुद को बताएं — “तुम अकेले नहीं हो”

यह लेख सिर्फ आंकड़ों के लिए नहीं है।
अगर आप ये पढ़ रहे हैं और थक चुके हैं —
तो जान लीजिए, आप अकेले नहीं हैं।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment