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कर्नाटक में सत्ता का सस्पेंस: सिद्धारमैया बोले — कांग्रेस कहेगी तभी DKS CM बनेंगे

On: December 2, 2025 6:58 PM
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कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DKS) के बीच सत्ता साझेदारी को लेकर चल रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। दोनों नेताओं की मंगलवार को हुई मुलाक़ात — जिसे ‘पावर ब्रेकफ़ास्ट’ कहा गया — सामान्य दिख सकती थी, लेकिन इसके पीछे मुख्यमंत्री पद के हस्तांतरण को लेकर महीनों से चल रही तनातनी छिपी हुई है।विवाद की जड़ 2023 विधानसभा चुनाव के बाद हुए उस कथित समझौते में है जिसके अनुसार पांच साल के कार्यकाल को दोनों नेताओं में बांटा जाना था — 2.5 साल सिद्धारमैया के लिए और 2.5 साल DKS के लिए।

सिद्धारमैया का संकेत — “पद छोड़ने को तैयार, लेकिन फैसला हाई कमान का होगा”

मीटिंग के बाद पहली बार सिद्धारमैया ने स्पष्ट तौर पर संकेत दिया कि वे मुख्यमंत्री पद छोड़ सकते हैं, पर केवल तब जब कांग्रेस हाई कमान (राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे) ऐसा निर्णय ले।सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं को 8 दिसंबर को दिल्ली बुलाया जा सकता है, जहाँ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात होगी। यह बैठक सत्ता हस्तांतरण पर आखिरी निर्णय के लिए अहम मानी जा रही है।

DKS कैम्प और सिद्धारमैया कैम्प की रणनीतियाँ

दोनों नेताओं की मंगलवार को नाश्ते पर हुई बैठक तीन दिनों में दूसरी मुलाकात थी — जो संकेत देती है कि पार्टी विवाद सुलझाने की कोशिश तेज़ कर रही है।
हालांकि बातचीत के बावजूद तारीख पर सहमति नहीं बन पाई।

सिद्धारमैया पक्ष — अपना कार्यकाल बढ़ाकर अप्रैल 2026 तक पूरा करना चाहता है।

DKS पक्ष — बदलाव को जितना संभव हो टालने की कोशिश कर रहा है, यहाँ तक कि पूरा कार्यकाल बिना बदलाव के खत्म करने की इच्छा भी जताई गई है।सूत्रों का कहना है कि सिद्धारमैया का प्लान है कि वे कार्यकाल पूरा कर 2028 के चुनाव में DKS का समर्थन करें, जिससे दोनों बड़े वोट बैंक —
•अहिंदा समुदाय (सिद्धारमैया) और
•वोक्कालिगा समुदाय (DKS)
— कांग्रेस के पक्ष में एकजुट रहें।

खड़गे का हस्तक्षेप — “वादा निभाया जाए”

लगातार बढ़ते दबाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को अपना रुख साफ कर दिया।सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा:

“यह समझौता मेरी मौजूदगी में हुआ था, और इसका सम्मान होना चाहिए… अन्यथा मेरी कोई साख नहीं बचेगी।” उनके इस बयान को सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया तेज़ होने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

सार्वजनिक तौर पर दिखती एकजुटता — अंदरखाने जारी टकराव

विवाद के बावजूद पार्टी की ओर से “सब ठीक है” वाली छवि जारी रखने की कोशिश जारी है।
DKS ने मुख्यमंत्री के साथ फोटो पोस्ट करते हुए कहा: “आज मुख्यमंत्री नाश्ते पर आए। हम कांग्रेस के विज़न के तहत अच्छे शासन और विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मीडिया ही विवाद बना रही है — पार्टी में कोई फूट नहीं है।” लेकिन अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि सत्ता का हस्तांतरण ही विवाद का असली मुद्दा है और अभी भी अंतिम समाधान बाकी है।

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