आज का भारत शिक्षा और तकनीक की शक्ति से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसी बीच देश में लगातार बढ़ते घोटाले और स्कैम चिंता का बड़ा कारण बनते जा रहे हैं। ताज़ा मामलों में एक तरफ़ उत्तर प्रदेश के कानपुर से छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है, वहीं दूसरी ओर मुंबई में एक बुजुर्ग महिला साइबर ठगी की बड़ी शिकार बनी हैं।
छात्रवृत्ति घोटाला: झूठे दस्तावेज़ों से लिया ₹70,000?
उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली रेशमा सैफी, जो एक कांस्टेबल की पत्नी हैं, पर आरोप है कि उन्होंने बी.एड की पढ़ाई के लिए धोखे से ₹70,000 की छात्रवृत्ति हासिल की।
क्या है पूरा मामला?
- रेशमा ने अपनी मां का आय प्रमाण पत्र इस्तेमाल करके अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया।
- उन्हें वर्ष 2022-23 में ₹33,710 और 2023-24 में ₹36,360 की राशि मिली।
- दस्तावेज़ों की जांच के बाद, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने पूरी रकम सरकार को लौटाने का आदेश दिया।
- एडवोकेट मोहम्मद शाहिद ने इस मामले में ज़िला कार्यालय में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
यह मामला सवाल उठाता है कि क्या छात्रवृत्ति योजना का असल फायदा वंचित और ज़रूरतमंद छात्रों तक पहुंच पा रहा है या फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ रहा है।
साइबर ठगी: मुंबई की बुजुर्ग महिला से ₹1.5 करोड़ की चपत
मुंबई से आई दूसरी घटना ने लोगों को चौंका दिया है। एक 78 वर्षीय बुजुर्ग महिला को साइबर अपराधियों ने ठग कर ₹1.5 करोड़ का नुकसान पहुंचाया।
साइबर ठगी से बचने के लिए ज़रूरी सावधानियां:
- किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ OTP, पासवर्ड या बैंक डिटेल्स साझा न करें।
- संदिग्ध कॉल, ईमेल या लिंक पर तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें।
- बुजुर्गों और कम तकनीकी जानकारी वाले लोगों को ऐसे मामलों के प्रति जागरूक करना ज़रूरी है।
क्यों ज़रूरी है सख्त कानून?
इन दोनों घटनाओं से साफ़ है कि भारत में घोटाले और स्कैम सिर्फ़ पैसों का नहीं, बल्कि लोगों के भरोसे का भी नुकसान कर रहे हैं।
- शिक्षा क्षेत्र में फर्जीवाड़ा उन छात्रों के अवसर छीनता है जो सच में मदद के हकदार हैं।
- वहीं, साइबर अपराध सीधे आम नागरिकों की मेहनत की कमाई पर हमला करते हैं।
अगर इन मामलों पर सख्त कानूनी कार्रवाई और तेज़ जांच न हुई तो आने वाले समय में ऐसे स्कैम और भी बड़े रूप में सामने आ सकते हैं।