भारत की आर्थिक प्रगति में सड़क अवसंरचना (Road Infrastructure) हमेशा से एक आधारशिला रही है। बेहतर सड़कें सिर्फ तेज़ यातायात ही नहीं, बल्कि व्यापार, रोज़गार और शहरी विकास की रफ़्तार को भी दिशा देती हैं। आज जब शहरों की आबादी और वाहन संख्या लगातार बढ़ रही है, तब ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और लॉजिस्टिक देरी बड़ी समस्या बन चुके हैं। इसी चुनौती का समाधान ढूंढने के लिए केंद्र सरकार ने नई सोच और नीतिगत हस्तक्षेपों पर मंथन शुरू किया है।
कार्यशाला का आयोजन
3 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित परामर्श कार्यशाला (Consultation Workshop) में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी ने अध्यक्षता की। इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री अजय तम्टा, श्री हर्ष मल्होत्रा, विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी और नगर निगम आयुक्त उपस्थित रहे।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था — नवाचारपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप (Innovative Policy Interventions) पर चर्चा, ताकि राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास सतत और शहरी आवश्यकताओं के अनुरूप किया जा सके।
मुख्य एजेंडा: रिंग रोड और बाईपास का निर्माण
बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि देश के बड़े और तेजी से बढ़ते शहरों में रिंग रोड (Ring Roads) और बाईपास (Bypasses) का निर्माण बेहद जरूरी है।
- रिंग रोड: ये सड़के शहर के चारों ओर बनती हैं और मुख्य शहर से गुजरने वाले भारी यातायात को बाहर ही मोड़ देती हैं।
- बाईपास: ये वैकल्पिक मार्ग हैं जो लंबी दूरी की गाड़ियों को शहरों के भीतरी मार्गों से दूर रखते हैं।
इन दोनों उपायों से ट्रैफिक जाम में कमी, ईंधन की बचत, प्रदूषण में कमी और शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार संभव है।
सतत वित्तीय मॉडल और योजना का समन्वय
कार्यशाला में Value Capture Financing Models पर भी चर्चा हुई, जो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को टिकाऊ फंडिंग देने का एक नया तरीका है।
साथ ही, यह तय किया गया कि नई सड़कों और बाईपास प्रोजेक्ट्स को शहरों के मास्टर प्लान (City Master Plan) के साथ जोड़ा जाएगा। इससे:
- अराजक विकास पर रोक लगेगी।
- शहरी क्षेत्रों का संतुलित और नियोजित विस्तार होगा।
- आर्थिक गतिविधियों को सही दिशा मिलेगी।
क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?
- भीड़भाड़ कम होगी – दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पटना जैसे शहरों में रोज़ाना लाखों लोग जाम में फंसते हैं।
- व्यापार को गति मिलेगी – लॉजिस्टिक लागत कम होगी, माल ढुलाई तेज़ होगी।
- पर्यावरण संरक्षण – कम ईंधन जलने से प्रदूषण घटेगा।
- समय की बचत – यात्रा समय घटने से नागरिकों और व्यवसायों दोनों को फायदा होगा।
विशेषज्ञों की राय
परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि रिंग रोड और बाईपास के जरिये भारत अगले दशक में लॉजिस्टिक हब बन सकता है। यह न सिर्फ GDP वृद्धि को बढ़ावा देगा बल्कि भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा।
सरकार का विज़न 2047
सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बने। इसके लिए ग्रीन और स्मार्ट हाईवे, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग नेटवर्क, और पर्यावरणीय दृष्टि से जिम्मेदार प्रोजेक्ट्स पर फोकस किया जा रहा है।
श्री नितिन गडकरी की अगुवाई में हुई इस कार्यशाला से साफ है कि केंद्र सरकार सिर्फ हाईवे नहीं बना रही, बल्कि एक सतत, स्मार्ट और भविष्य-उन्मुख भारत की नींव रख रही है। रिंग रोड और बाईपास जैसे प्रोजेक्ट्स से आम नागरिक की जिंदगी आसान होगी, ट्रैफिक का बोझ कम होगा और अर्थव्यवस्था को नई उड़ान मिलेगी।
Source – PIB