Pakistan और Saudi Arabia के बीच ‘रक्षा समझौता’, भारत की नज़र इस पर क्यों है?

नई दिल्ली: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बड़ा बयान देकर भारत और सऊदी अरब के बीच हलचल मचा दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर हमला करने की कोशिश की, तो सऊदी अरब उसकी मदद के लिए आगे आएगा।

क्या है ये समझौता?

ख्वाजा आसिफ के मुताबिक, यह सब हाल ही में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए एक ‘रणनीतिक आपसी सहयोग’ समझौते का हिस्सा है। उन्होंने इसे नाटो (NATO) के ‘सामूहिक रक्षा’ वाले नियम से जोड़कर देखा, जिसमें एक सदस्य पर हमला होने को सभी पर हमला माना जाता है।

हालाँकि, आसिफ ने यह भी साफ किया कि यह समझौता सिर्फ बचाव (defensive) के लिए है, न कि हमला करने के लिए। उन्होंने कहा, “अगर हम पर हमला होता है, तो हम मिलकर उसका जवाब देंगे।”

परमाणु हथियारों का सवाल

इस बातचीत में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। जब परमाणु हथियारों को लेकर सवाल पूछा गया, तो आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं इस समझौते के तहत सऊदी अरब के लिए उपलब्ध हो सकती हैं। यह बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि पाकिस्तान की घोषित नीति के अनुसार, उसके परमाणु हथियार सिर्फ भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए हैं।

भारत की प्रतिक्रिया

इस समझौते पर भारत सरकार ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था को अब औपचारिक रूप दे रहा है। भारत सरकार इस समझौते से पैदा होने वाले परिणामों का आकलन कर रही है।

राजनीतिक और सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता दोनों देशों के लिए एक बड़ी डील है।

  • पाकिस्तान के लिए: उसे सऊदी अरब से मजबूत आर्थिक मदद और अरब देशों के बीच एक गठबंधन बनाने का मौका मिल सकता है।
  • सऊदी अरब के लिए: यह एक तरह की ‘परमाणु सुरक्षा’ है, क्योंकि अब तक इजराइल ही पश्चिम एशिया का एकमात्र परमाणु शक्ति वाला देश है।

इस समझौते पर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि इजराइल और ईरान जैसे देश भी करीबी से नज़र रख रहे हैं।

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