अगर बिहार इन व्यक्तियों को नहीं चुनता उम्मीदवारों के संबंध में प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर की पहली सूची में 51 उम्मीदवार शामिल हैं — जिनमें डॉक्टर, वकील, रिटायर्ड अधिकारी और कानून-व्यवस्था से जुड़े सम्मानित लोग हैं। चुनावी रणनीतिकार से नेता बने किशोर ने कहा कि अगर ये उम्मीदवार हारते हैं, तो इसकी ज़िम्मेदारी उनकी नहीं बल्कि बिहार के लोगों की होगी।
NDTV को दिए एक निजी इंटरव्यू में उन्होंने प्रमुख उम्मीदवारों का ज़िक्र किया और कहा कि इन्हें समाज में किए गए काम और सेवा के आधार पर चुना गया ह

उन्होंने कहा —अगर मतदाता ऐसे लोगों को वोट नहीं देते, तो उसकी ज़िम्मेदारी प्रशांत किशोर की नहीं, बल्कि बिहार के लोगों की होगी।जन सुराज पार्टी के नेता के तौर पर यह उनका पहला चुनाव है।

बिहार की जातीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए किशोर ने अपने उम्मीदवारों का चयन सोच-समझकर किया है, ताकि हर वर्ग का संतुलन बना रहे।
पहली सूची में 16% उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से हैं और 17% बेहद वंचित तबकों से आते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि क्या यह कदम लालू यादव की RJD और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की JDU को चुनौती देने की रणनीति है, तो किशोर ने साफ कहा —
उम्मीदवारों का चयन उनकी पहचान, प्रतिष्ठा और काम के आधार पर हुआ है। इस सूची में लगभग सभी उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, केवल एक को छोड़कर।”

उन्होंने आगे कहा —हमने किसी को हराने के इरादे से टिकट नहीं दिया। हमारा मकसद बिहार की स्थिति को बेहतर बनाना है।इन उम्मीदवारों में के.सी. सिन्हा का नाम भी शामिल है — जो जाने-माने गणितज्ञ हैं और पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके हैं। उनकी किताबें बिहार के स्कूल-कॉलेजों में लंबे समय से पढ़ाई जाती हैं।वाई.बी. गिरी, जो जन सुराज पार्टी से मंझी विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं, पहले बिहार के एडिशनल एडवोकेट जनरल और केंद्र सरकार के मामलों में पटना हाईकोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं।

किशोर ने कहा अगर के.सी. सिन्हा जैसे लोग विधायक बनें, तो क्या यह सिस्टम के लिए फायदेमंद नहीं होगा?उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टिकट देने में किसी तरह का पक्षपात या उपकार के बदले पद देने जैसी बात नहीं हुई।

उन्होंने बताया —लता जी, जो आरसीपी सिंह की बेटी हैं, पेशे से वकील हैं और अस्थावां क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। उनका काम ईमानदार और प्रभावशाली रहा है। वह न छल करने वाली हैं, न लालची।”साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जागृति ठाकुर केवल पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती नहीं हैं, बल्कि उन्होंने खुद भी समाज में काम किया है।

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn