NDA में सीट बंटवारे की खींचतान: मांझी ने नड्डा को सौंपी 15 सीटों की सूची, हम’ बोली— जीती हुई सीटें नहीं छोड़ेंगे

NDA में सीट बंटवारे की जद्दोजहद अपने चरम पर है। इसी बीच हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संस्थापक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर 15 सीटों की सूची सौंपी है। मांझी ने भाजपा नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी अपनी जीती हुई सीटें किसी भी हाल में छोड़ने को तैयार नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक, ‘हम’ ने गया जिले की अधिकतर सीटों पर दावा किया है। पिछली बार पार्टी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था — जिनमें गया की बाराचट्टी, टिकारी और इमामगंज, तथा जमुई की सिकंदरा सीट पर पार्टी ने जीत दर्ज की थी। वहीं इस बार एनडीए में लोजपा (रा) के शामिल होने से सीटों का गणित जटिल हो गया है।

इमामगंज और सिकंदरा पर फंसा पेंच

सूत्र बताते हैं कि इमामगंज और सिकंदरा सीटों पर अब विवाद गहराता जा रहा है। चिराग पासवान की लोजपा (रा) इन दोनों सीटों पर दावा कर रही है, जबकि ‘हम’ ने दो टूक कहा है कि ये सीटें वे किसी भी हाल में नहीं छोड़ेंगे।

मांझी की नई 15 सीटों की लिस्ट

मांझी ने जिन सीटों की सूची भाजपा नेतृत्व को दी है, उनमें गया की बाराचट्टी, टिकारी, इमामगंज, गुरारू, अतरी और बोधगया,जहानाबाद की मखदुमपुर,औरंगाबाद की कुटुम्बा,
पूर्णिया की कस्बा,साथ ही सिमरी बख्तियारपुर और बखरी जैसी सीटें शामिल हैं।

हम के तेवर— कभी नरम, कभी गरम

एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग पर ‘हम’ के रुख में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। असम से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए मांझी ने कहा —

सीट शेयरिंग पर अभी फैसला होना है। दिल्ली में सब एनडीए नेता हैं, वहीं बात होगी। हम अनुशासित पार्टी हैं, जितनी सीटें मिलेंगी, उतनी पर लड़ेंगे। वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राजेश पांडेय ने कहा किहमने एनडीए नेतृत्व को अपनी मांगों से अवगत करा दिया है। राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। हमारे सारे विकल्प खुले हैं।”

एनडीए में बढ़ी अंदरूनी खींचतान

मांझी और चिराग पासवान के बीच सीटों को लेकर चल रही खींचतान ने बिहार एनडीए के भीतर तनाव बढ़ा दिया है। भाजपा के लिए यह सीट बंटवारा संतुलन साधने की बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि दोनों दलों का आधार एक ही क्षेत्र — गया, औरंगाबाद और जमुई — में पड़ता है।अब जबकि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां तेज हो चुकी हैं, एनडीए के अंदर की यह सीट खींचतान साफ इशारा कर रही है कि अगले कुछ दिन राजनीतिक तौर पर बेहद अहम रहने वाले हैं। मांझी का रुख देखकर लगता है कि ‘हम’ अपनी जमीन किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहती — और भाजपा को संतुलन साधने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेग

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn