दिल्ली की हवा एक बार फिर ज़हर बन चुकी है। राजधानी में प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के बाद प्रशासन ने मंगलवार को सख्त कदम उठाए हैं। अब प्राथमिक कक्षाओं के लिए हाइब्रिड क्लास (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों) शुरू की जा रही हैं, जबकि गैर-जरूरी निर्माण कार्यों और धूल फैलाने वाली गतिविधियों पर पूर्ण रोक लगा दी गई है।केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार बुधवार को दिल्ली का PM2.5 स्तर 438 दर्ज किया गया — जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा से लगभग 30 गुना अधिक और भारत के राष्ट्रीय औसत से आठ गुना ज्यादा है।WHO के मुताबिक, 24 घंटे का सुरक्षित स्तर 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को आगाह किया है कि बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित लोग घर से बाहर न निकलें।
जो लोग बाहर जाना मजबूरी में पड़ रहा है, उन्हें N95 मास्क पहनने की सलाह दी गई है।दिल्ली और उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान हवा जहरीली होना अब हर साल की समस्या बन चुकी है।विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे कई कारण हैं — खेतों में पराली जलाना कम हवा की रफ्तार औद्योगिक उत्सर्जन वाहनों का धुआं तापमान में गिरावटइन सबका संयुक्त असर हवा में सूक्ष्म कणों (PM2.5) की खतरनाक वृद्धि के रूप में दिखता है।सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण को लागू कर दिया है।
इसके तहत:
खनन और स्टोन क्रशिंग पर रोक धूल फैलाने वाले ट्रकों की आवाजाही बंद निर्माण कार्यों में सीमाएं सरकारी एजेंसियों को नियमित पानी छिड़काव के निर्देश प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर दिल्लीवासियों ने पिछले हफ्ते विरोध प्रदर्शन किया।इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि सरकार एयर क्वालिटी डेटा ‘मैनिपुलेट’ कर रही है और लोगों के स्वास्थ्य की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित करने की मांग की।वहीं, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (भाजपा शासित दिल्ली सरकार) ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा,हमारी सरकार प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पूरी गंभीरता और तत्परता से काम कर रही है।दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने भी कहा कि सभी डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और मॉनिटरिंग स्टेशनों के आसपास पानी का छिड़काव सिर्फ धूल कम करने के लिए किया गया था, न कि रीडिंग्स को प्रभावित करने के लिए।दिल्ली में GRAP का चौथा चरण तब लागू होगा जब हालात और बिगड़ेंगे — इसमें वाहन प्रतिबंध, स्कूल बंदी और ऑड-ईवन सिस्टम जैसी कड़ी व्यवस्थाएं शामिल हैं।फिलहाल सरकार और नागरिक दोनों को ही इस “धुएं के शहर” को फिर से सांस लेने लायक बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।दिल्ली का यह प्रदूषण सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की सांसों पर लटका खतरा है। जब तक सरकार, उद्योग और नागरिक मिलकर जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तब तक हर सर्दी राजधानी के लिए एक गैस चैंबर बनती रहेगी।










