भारत की सशस्त्र सेनाएं अब उस ऐतिहासिक मुकाम की ओर बढ़ रही हैं, जब देश पूरी तरह अपने ही बनाए गोला-बारूद पर निर्भर होगा। लक्ष्य है—2025 के अंत तक गोला-बारूद का 100% स्वदेशी उत्पादन। यह कदम न केवल रक्षा रणनीति का हिस्सा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।
ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सामने आई कमियों ने यह साफ कर दिया था कि विदेशी सप्लाई पर निर्भरता खतरनाक हो सकती है। इसी अनुभव ने भारतीय सेना को आत्मनिर्भरता की दिशा में और तेज़ी से काम करने के लिए प्रेरित किया।
सेना का दावा: अब 90% तक आत्मनिर्भर
लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला (मास्टर जनरल सस्टेनेंस, इंडियन आर्मी) ने हाल ही में आयोजित PHDCCI Ammo Power Conference में कहा:
“इस समय हमारे पास करीब 170 से 175 प्रकार के गोला-बारूद हैं। इनमें से 154 वैरिएंट अब पूरी तरह स्वदेशी हैं। चार साल पहले आत्मनिर्भरता केवल 30% थी, और आज यह आंकड़ा 85–90% तक पहुँच चुका है।”
उन्होंने आगे जोड़ा कि शेष 21 वैरिएंट पर भी काम अंतिम चरण में है और 2025 के अंत तक भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा।हालांकि, राह आसान नहीं है।
लेफ्टिनेंट जनरल औजला ने यह स्वीकार किया कि —
- उत्पादन क्षमता को और बढ़ाना ज़रूरी है।
- कच्चे माल और कंपोनेंट्स की नियमित आपूर्ति सबसे बड़ी चुनौती है।
रक्षा मंत्रालय की रणनीति
रक्षा सचिव (डिफेंस प्रोडक्शन) संजीव कुमार ने कहा:
“भारत अक्सर टेक्नोलॉजी या फिनिश्ड प्रोडक्ट पर फोकस करता है। असली ज़रूरत है—मैन्युफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की। आत्मनिर्भरता सिर्फ टैंक या मिसाइल में नहीं, बल्कि गोला-बारूद के स्तर पर भी अनिवार्य है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए गुणवत्ता व गति दोनों बढ़ानी होंगी।
मेक इन इंडिया से “फाइट इन इंडिया” तक
भारत अब केवल हथियार आयात करने वाला देश नहीं रहेगा। आने वाले वर्षों में सेना अपनी ज़रूरत का गोला-बारूद खुद तैयार करेगी। यह बदलाव भारत को न सिर्फ़ मजबूत सैन्य शक्ति बनाएगा बल्कि वैश्विक रक्षा बाज़ार में आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी भी खड़ा करेगा।2025 के बाद भारत सिर्फ़ युद्ध नहीं लड़ेगा, बल्कि अपने हथियार भी खुद बनाएगा।
यह आत्मनिर्भरता का वह निर्णायक कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित, मज़बूत और गर्वित बनाएगा।