बिहार डेंगू बाढ़: पटना और दरभंगा पर डबल अटैक, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर

पटना : KhabarX Ground Report
बिहार में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे उतरने लगा है। गंगा, गंडक, बागमती और कोसी जैसी नदियों के जलस्तर में कमी आई है, जिससे राहत की उम्मीद जगी है। लेकिन इस राहत के साथ एक नई मुसीबत भी खड़ी हो रही है। जगह-जगह पानी का जमाव, नालियों की गंदगी और मच्छरों की बढ़ती तादाद ने डेंगू का खतरा बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को सतर्क रहने का निर्देश जारी कर दिया है।

पिछले अनुभव: बाढ़ के बाद डेंगू का अटैक

पटना और दरभंगा रहे सबसे प्रभावित

यह पहली बार नहीं है जब बाढ़ के बाद डेंगू का संकट मंडरा रहा हो। पिछले वर्षों का रिकॉर्ड बताता है कि हर बार बाढ़ के बाद डेंगू के मामलों में अचानक उछाल आता है।

  • 2023 में पटना में 2400 से अधिक डेंगू मरीज दर्ज किए गए थे।
  • दरभंगा और मुजफ्फरपुर में 550 से अधिक केस सामने आए थे।
  • 2024 में भागलपुर और समस्तीपुर में भी इसी तरह के हालात बने थे।

2024 में अगस्त तक बिहार में डेंगू से 6 लोगों की मौत दर्ज की गई है, जिनमें सबसे ज़्यादा मामले पटना और आसपास के जिलों से सामने आए।स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाढ़ घटते ही मच्छरों का प्रकोप तेज हो जाता है और स्वास्थ्य केंद्रों पर भीड़ बढ़ने लगती है।

ग्रामीण इलाकों में स्थिति और गंभीर

ग्रामीण इलाकों में हालात और चुनौतीपूर्ण रहते हैं क्योंकि वहां नालियों की सफाई और फॉगिंग अभियान देर से पहुंचते हैं। पिछले साल कई पंचायतों में डेंगू ने महामारी का रूप ले लिया था।

वैज्ञानिक वजह: क्यों बढ़ जाता है डेंगू का खतरा?

एडीज एजिप्टी मच्छर की भूमिका

विशेषज्ञ मानते हैं कि डेंगू वायरस एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलता है, जो साफ़ पानी में पनपता है। बाढ़ उतरने के बाद छोटे-छोटे गड्ढों, बर्तनों और टंकियों में जमा पानी मच्छरों के लिए breeding ground बन जाता है।

AIIMS पटना के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. राजीव सिन्हा का कहना है:

“बाढ़ के बाद 10 से 15 दिन का समय सबसे अहम होता है। अगर इस दौरान मच्छरों की रोकथाम के उपाय नहीं हुए तो डेंगू के मामलों में तेज़ी आना तय है। लोगों को सतर्क रहना होगा और प्रशासन को लगातार फॉगिंग अभियान चलाना होगा।”

मौसम भी बढ़ा रहा खतरा

सितंबर और अक्टूबर का मौसम भी डेंगू फैलने के लिए अनुकूल माना जाता है। इस दौरान नमी और हल्की गर्मी मच्छरों के प्रजनन को और तेज कर देती है।

स्वास्थ्य विभाग की तैयारी अलर्ट जारी, अस्पतालों में व्यवस्था

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया है।

  • पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेजों में स्पेशल डेंगू वार्ड बनाए जा रहे हैं।
  • सरकारी अस्पतालों में अलग डेंगू काउंटर और बेड आरक्षित किए गए हैं।
  • टेस्ट किट, दवाओं और प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

मंत्री का बयान

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है:

“सरकार पूरी तरह से तैयार है। टेस्ट किट, दवाएं और फॉगिंग मशीनें जिलों को उपलब्ध कराई गई हैं। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, बस सावधानी बरतनी होगी।”

हालांकि, ज़मीनी हकीकत इससे थोड़ी अलग दिख रही है। कई बाढ़ग्रस्त इलाकों के लोगों का कहना है कि अब तक उनके मोहल्लों में फॉगिंग शुरू नहीं हुई है। दवा छिड़काव सिर्फ मुख्य सड़कों तक सीमित है। ऐसे में डेंगू का डर और बढ़ गया है।

लोगों की परेशानी और डर बाढ़ से तबाह, अब डेंगू का डर

बाढ़ से पहले ही घरों और खेतों का नुकसान झेल चुके लोग अब डेंगू के खतरे से जूझ रहे हैं।

  • कई परिवार बच्चों और बुजुर्गों को लेकर रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं।
  • गांवों में स्कूल और पंचायत भवनों में आश्रय लिए लोग मच्छरों के कारण रातें जागकर बिता रहे हैं।
  • ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन सिर्फ दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी कार्रवाई न के बराबर है।

स्थानीय आवाज़

पटना के दीदारगंज इलाके के निवासी राकेश कुमार कहते हैं,

“बाढ़ से घर तो पहले ही बर्बाद हो गया। अब मोहल्ले में मच्छरों की भरमार है। बच्चे दिन-रात बुखार से परेशान हैं, लेकिन फॉगिंग मशीन यहां तक नहीं पहुंची।”

बचाव कैसे करें?

विशेषज्ञों की सलाह

विशेषज्ञ मानते हैं कि डेंगू से बचाव में लोगों की सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है।

  • घर और आसपास पानी का जमाव न होने दें
  • पानी की टंकियों, ड्रम और बाल्टी को हमेशा ढककर रखें।
  • बच्चों और बुजुर्गों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं
  • रात को मच्छरदानी और मच्छररोधी दवाओं का प्रयोग करें।
  • किसी को बुखार हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराएं।

बाढ़ से तबाह बिहार अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। डेंगू का खतरा तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले दो हफ्ते बेहद अहम माने जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि राज्य पूरी तरह तैयार है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कमियों को दूर करना जरूरी है।
अगर प्रशासन और लोग मिलकर सतर्कता नहीं बरतेंगे तो बाढ़ से मिली राहत के बाद डेंगू का कहर राज्य के लिए और बड़ी मुसीबत बन सकता है।

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