नितीश सरकार में बंद हुए सैकड़ों सरकारी स्कूल — बिहार के बच्चों का भविष्य अंधेरे में!

बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठ गया है। नितीश कुमार के लंबे कार्यकाल में सरकारी स्कूलों पर लगातार ताले लगते रहे हैं। विपक्ष का आरोप है — सरकार गरीब और ग्रामीण बच्चों की शिक्षा छीन रही है” — जबकि शिक्षा विभाग इसे “मर्जर पॉलिसी” का नाम देकर सही ठहराता है।
लेकिन असल सवाल ये है — जब शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) हर बच्चे को 1 किमी के भीतर स्कूल की गारंटी देता है, तो आखिर इतने स्कूल क्यों बंद कर दिए गए?

जिलावार अनुमानित सूची (2017 से अब तक बंद/मर्ज हुए स्कूल)

(आंकड़े मीडिया रिपोर्ट्स, स्थानीय आरटीआई जवाब और शिक्षा विभाग की आंतरिक मीटिंग नोट्स से अनुमानित)

जिलाबंद/मर्ज हुए स्कूलमुख्य कारण
पटना85कम नामांकन, भवन जर्जर
गया जी102शिक्षक की कमी, छात्र पलायन
रोहतास64मर्जर पॉलिसी
भागलपुर78कम छात्र संख्या
सीवान53शिक्षक अनुपस्थिति
दरभंगा96भवन असुरक्षित
पूर्णिया88ग्रामीण पलायन
मधुबनी91शिक्षकों की कमी
नवादा47मर्जर पॉलिसी
मुजफ्फरपुर110कम नामांकन, शहर की ओर पलायन
औरंगाबाद59भवन जर्जर
अन्य जिले~650मिश्रित कारण

कुल अनुमान: लगभग 1600+ सरकारी स्कूल 2017 से अब तक या तो बंद हो चुके हैं या मर्ज कर दिए गए हैं

सरकार का पक्ष:

  • छात्रों की संख्या बेहद कम, कई स्कूलों में 10 से भी कम बच्चे।
  • मर्जर से बेहतर गुणवत्ता और संसाधनों का उपयोग।

विपक्ष का आरोप:

  • गरीब बच्चों को मजबूरन 3–5 किमी दूर पैदल जाना पड़ रहा है।
  • निजी स्कूलों के लिए बाजार तैयार किया जा रहा है।
  • RTE कानून की खुली अवहेलना।

गांव के लोगों की बात:

हमारे गांव का स्कूल बंद हो गया, अब बच्चों को बारिश-धूप में 4 किमी दूर भेजना पड़ता है। कई बच्चों ने पढ़ाई ही छोड़ दी।” — एक ग्रामीण अभिभावक (दरभंगा)

नितीश सरकार की “स्कूल मर्जर पॉलिसी” पर अब सवाल और गहरे हो गए हैं। अगर यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में बिहार के सरकारी शिक्षा तंत्र की रीढ़ टूट सकती है।

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn