शराबबंदी से नशामुक्ति नहीं, माफिया को मिला सहारा – Bihar Illicit Liquor Mafia का सच

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Bihar 2016 में बिहार सरकार ने राज्यभर में पूर्ण शराबबंदी (Prohibition Law) लागू की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे “सामाजिक सुधार अभियान” कहा था। उम्मीद थी कि शराबबंदी से घरेलू हिंसा कम होगी और गरीब वर्ग आर्थिक रूप से मजबूत होगा।

लेकिन वास्तविकता कुछ और निकली। शराब की मांग खत्म नहीं हुई, बल्कि यह भूमिगत नेटवर्क में बदल गई। इसी खाई को भरने के लिए Bihar Illicit Liquor Mafia सामने आया।

क्यों फला-फूला Bihar Illicit Liquor Mafia?

शराब की मांग और काला बाज़ारबिहार की बड़ी आबादी शराब पीने वालों की थी। अचानक शराबबंदी से बाजार खाली हो गया। इस मांग को पूरा करने के लिए Bihar Illicit Liquor Mafia ने अंतरराज्यीय तस्करी और स्थानीय उत्पादन का जाल बिछा दिया।
  • नेपाल, झारखंड और बंगाल से शराब की तस्करी शुरू हुई।
  • कई गांवों में देसी शराब की भट्टियां लग गईं।
  • शराबबंदी ने खपत कम करने की बजाय काले बाजार को बढ़ावा दिया।

अनेक रिपोर्ट्स और मीडिया जांच बताती हैं कि पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत के बिना Bihar Illicit Liquor Mafia का इतना संगठित नेटवर्क संभव नहीं था।

  • हर साल लाखों लीटर शराब पकड़ी जाती है।
  • लेकिन उसी साल उतनी ही बड़ी मात्रा में नई खेप बाजार में पहुंच जाती है।
  • कई अधिकारी रिश्वत और राजनीतिक दबाव में आंखें मूंद लेते हैं।

Bihar Illicit Liquor Mafia से समाज और राजनीति पर असर

  • सामाजिक असर: गरीब और मजदूर वर्ग जहरीली शराब का सबसे बड़ा शिकार बन रहा है।
  • आर्थिक असर: परिवारों की आय शराब पर खर्च हो रही है, जिससे गरीबी और बढ़ी।
  • राजनीतिक असर: विपक्ष लगातार कहता है कि शराबबंदी सिर्फ “कानून की किताबों में” है, ज़मीनी हकीकत कुछ और है।
  • न्यायिक असर: जेलों में बंद 70% से ज़्यादा कैदी शराबबंदी उल्लंघन के केस में हैं, जिससे न्याय प्रणाली पर दबाव बढ़ा है।

बिहार में अवैध शराब से जुड़े हादसे और मौतें

2016 से 2025 तक बिहार में 700 से ज़्यादा लोग जहरीली शराब पीकर मारे गए।
केवल 2022-23 में ही 200 मौतें दर्ज हुईं।

  • सारण जहरीली शराब त्रासदी (2023): 70+ मौतें
  • सिवान और गोपालगंज हादसे (2024): 50+ मौतें
  • हर बार सरकार कार्रवाई का दावा करती है, लेकिन Bihar Illicit Liquor Mafia पर इसका असर नहीं पड़ता।

Bihar Illicit Liquor Mafia को रोकने की चुनौतियाँ

  1. पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत
  2. अंतरराज्यीय तस्करी (नेपाल, झारखंड से सप्लाई)
  3. शराब पीने वालों की छिपी मांग
  4. राजनीतिक दबाव और संरक्षण
  5. वैकल्पिक रोजगार की कमी

Expert Views: शराबबंदी की नाकामी पर राय

  • India Today Report ने बताया कि शराबबंदी कानून के बावजूद 2023 में बिहार पुलिस ने 20 लाख लीटर अवैध शराब जब्त की।
  • The Hindu की रिपोर्ट कहती है कि बिहार की जेलें शराबबंदी मामलों से भरी हुई हैं, जिससे न्याय व्यवस्था चरमरा गई है।
  • 2016 की शराबबंदी का मकसद साफ था—बिहार को नशामुक्त बनाना। लेकिन इसके उलट, Bihar Illicit Liquor Mafia और भी मजबूत हो गया।

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