Bihar में योजनाओं की बौछार जारी है — छात्रवृत्ति, पेंशन, कन्या उत्थान, बेरोज़गारी भत्ता, वृद्धजन सहायता, और अब “मुख्यमंत्री परिवार कल्याण अनुदान योजना 2025” तक।
हर वर्ग को किसी न किसी रूप में सरकारी सहायता मिल रही है।लेकिन जिन हाथों से बिहार की मिट्टी उपजती है, वे अब भी कर्ज़ के बोझ तले झुके हैं।Kisan Credit Card (KCC) लोन माफ़ी की मांग अब गांव-गांव की चर्चा बन चुकी है।
भोजपुर और औरंगाबाद: सूखे के बाद संकट और गहरा
भोजपुर और औरंगाबाद में इस साल बारिश सामान्य से 22% कम रही (IMD रिपोर्ट, अगस्त 2025)।
धान की फसल का उत्पादन औसतन 35% घटा है।
औरंगाबाद के देवरिया पंचायत के किसान सुरेश चौधरी कहते हैं –सरकार ने राहत का सर्वे किया, लेकिन अब तक कोई पैसा नहीं मिला। बैंक वाले कहते हैं, ब्याज बढ़ गया है। हम सोच रहे हैं कि खेत गिरवी रख दें।
कृषि विभाग की ताज़ा रिपोर्ट (सितंबर 2025) के अनुसार, भोजपुर ज़िले में 1.42 लाख सक्रिय KCC खाते हैं, जिनमें से 43% में भुगतान लंबित है।
भागलपुर-बांका बेल्ट: बारिश से फसल डूबी, बीमा अब तक अटक
भागलपुर और बांका के किसानों ने 2025 के मानसून को “आधा-बारिश, पूरा नुकसान” कहा है।
भागलपुर के कहलगांव क्षेत्र में धान की फसल 60% तक खराब हुई, लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत केवल 22% किसानों को ही भुगतान मिला है (Bihar Agri Dept. update, Sept 2025)।
बांका के किसान रामानंद मंडल हर वर्ग को DBT से पैसा मिल रहा है, लेकिन हमारे खाते में सिर्फ़ नोटिस आते हैं। अगर इतना पैसा योजनाओं में जा सकता है तो KCC माफ़ी में क्या दिक्कत है?”
सीवान और गोपालगंज: राजनीति में चर्चा का नया मुद्दा
सीवान और गोपालगंज जिलों में किसान संगठनों ने सितंबर 2025 में “कर्ज़ माफी मार्च” निकाला था।
यह मार्च आरा–पटना हाइवे तक पहुंचा, लेकिन प्रशासन ने इसे “बिना अनुमति सभा” बताकर रोक दिया।
किसान नेता अमरेश दुबे (सीवान) – सरकार जब छात्रवृत्ति से लेकर कन्या योजना तक सबके लिए बजट निकाल रही है, तो किसानों के लिए क्यों नहीं? चुनाव में वादा किया था, अब तक सिर्फ़ फाइल घूम रही है।”
Rohtas और Gaya: बैंक दबाव बढ़ा, किसान बेबस
रोहतास जिले में बैंकों ने अगस्त 2025 में करीब ₹620 करोड़ का कृषि ऋण रिकवरी नोटिस भेजा है।
किसानों का कहना है कि recovery agents गांव-गांव घूम रहे हैं।
गया जिले के एक किसान शिवनारायण पासवान कहते हैं —बैंक वाले रोज़ फोन करते हैं। मैंने तो अब मोबाइल बंद कर दिया। 10 हजार ब्याज बन गया है, खेती से क्या निकलता है?”
2025 के ताज़ा आंकड़े: स्थिति कितनी गंभीर है?
बिहार राज्य सहकारी बैंक और कृषि विभाग के compiled डेटा (सितंबर 2025 तक) के अनुसार:
श्रेणी | अनुमानित संख्या |
---|---|
KCC खाते कुल | 46.2 लाख |
सक्रिय खाते | 29.1 लाख |
भुगतान लंबित | 12.7 लाख (≈43%) |
औसत बकाया प्रति किसान | ₹57,300 |
कुल बकाया राशि | ₹16,100 करोड़ |
संभावित राहत पैकेज (छोटे किसानों तक सीमित) | ₹3,800–₹4,200 करोड़ |
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार “आंशिक माफी योजना” लाती है, यानी केवल 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों के लिए, तो बजट पर असर manageable रहेगा।
क्या योजनाएं वोट बटोरने का जरिया बन रही हैं?
बिहार में पिछले एक साल में 18 से ज़्यादा योजनाएं चलाई गई हैं जिनमें सीधे DBT से भुगतान होता है।
इनमें छात्रवृत्ति, पेंशन, कन्या उत्थान, वृद्धजन सहायता, रोजगार अनुदान जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. नीरज झा (पटना यूनिवर्सिटी) कहते हैं –
योजनाओं का मकसद अच्छा है, लेकिन किसान सबसे बड़ा वोटर वर्ग है। सरकार चाहे तो लोन माफी कर सकती है, लेकिन ये कदम चुनावी रणनीति के मुताबिक़ लिया जाता है।
किसानों की आवाज़: ‘हमें योजना नहीं, सम्मान चाहिए’
Bhagalpur के साहिबगंज गांव में किसान महिलाएं कहती हैं कि “पेंशन मिलती है, पर खेत में दवाई और बीज खरीदने को नहीं।”
Banka के बेलहर इलाके में तो किसान समूहों ने “कर्ज़ मुक्ति पंचायत” आयोजित की, जिसमें ये प्रस्ताव पास हुआ कि यदि दिसंबर 2025 तक राहत नहीं मिली तो वे सामूहिक रूप से बैंकिंग ब्याज चुकाना बंद करेंगे।
KhabarX विश्लेषण (2025 परिप्रेक्ष्य में):
- बिहार का कृषि बजट इस वर्ष (2025-26) ₹14,300 करोड़ है।
- इसमें से केवल ₹780 करोड़ “किसान कल्याण और ऋण राहत” मद में रखा गया है।
- यानी कुल बजट का केवल 5.4% हिस्सा कर्ज़ राहत से जुड़ा है।
अगर यही अनुपात बना रहा, तो बिहार आने वाले 5 साल में कर्ज़मुक्त किसान राज्य बनने से बहुत दूर रहेगा।अगर सरकार पेंशन, छात्रवृत्ति और DBT योजनाओं में अरबों रुपये बाँट सकती है, तो किसानों की कर्ज़ माफी से क्यों डरती है? बिहार के खेत सिर्फ़ अन्न नहीं उगाते — वो उम्मीद भी बोते हैं और जब तक वो उम्मीद कर्ज़ में दबती रहेगी, तब तक कोई भी विकास स्थायी नहीं हो सकता।