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Bihar Netagiri Audit: Mokama के विधायक Anant Kumar Singh पर 40+ गंभीर धाराओं का जिक्र, हलफ़नामा से खुलते कई पन्ने

On: December 1, 2025 7:38 PM
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Bihar की राजनीति में बाहुबल, जनसमर्थन और विवाद तीनों अक्सर एक साथ दिखते हैं। इन्हीं नामों में एक प्रमुख चेहरा हैं मोकामा (पटना) के विधायक Anant Kumar Singh, जिनके चुनावी हलफ़नामे और कोर्ट रिकॉर्ड्स में कई दर्जनों आपराधिक धाराओं का जिक्र मिलता है। वर्षों से लगातार बहस का विषय रहे यह नेता सोशल वर्क, बिजनेस और एग्रीकल्चर को अपना पेशा बताते हैं, वहीं दूसरी ओर दस्तावेज़ों में उनके नाम से मर्डर (302), अटैंप्ट टू मर्डर (307), किडनैपिंग, एक्सटॉर्शन और डकैती जैसी कई गंभीर धाराएँ सामने आती हैं।

यह रिपोर्ट किसी आरोप का विस्तार नहीं बल्कि केवल सार्वजनिक दस्तावेज़ों में दर्ज तथ्यों की प्रस्तुति है।

 हलफ़नामा बताता क्या है?

उम्र 64 वर्ष, पिता का नाम चन्द्रदीप सिंह, पेशा सामाजिक कार्य व कृषि।लेकिन सार्वजनिक रिकॉर्ड सामने कुछ और ही कहानी रखते हैं। आंकड़ों के अनुसार:

गंभीर आरोपों का वर्गीकरण

धारामामलों की संख्या
हत्या (IPC 302)4
हत्या की कोशिश (IPC 307)6
डकैती की तैयारी (IPC 399/402)10+
धमकी, फिरौती, उगाही (386/387/384/506)कई बार
किडनैपिंग टू मर्डर (364)2
हाउस-ट्रेसपास / दंगा (147/148/452/353)कई बार
साजिश (120B)3

मामलों की समय-सीमा भी हैरान करती है — सबसे पुरानी FIR वर्ष 1979, जबकि ताज़ा मामले 2025 तक दर्ज दिखते हैं।राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव के बावजूद ये केस अदालतों में अलग-अलग चरणों में pendency के साथ चलते रहे हैं।

कोर्ट रिकॉर्ड: FIR से लेकर ट्रायल तक

वर्षथानाअदालतप्रमुख धाराएँ
2025पंचमहला, पटनाADJ III, MP/MLA कोर्टBNS 191, 132, 352 आदि
2023बेउर, पटनाSpecial MP/MLA कोर्ट307, 323, 341
2019पंडारक, पटनाSpecial कोर्टArms Act + 115/506/120B
2016कोतवालीMP/MLA कोर्ट452, 387, चोरी, षड्यंत्र
1979–1995बाढ़ / साकसोहराACJM Barh302, 307, 399, 402 आदि

अधिकांश मामलों में ट्रायल जारी है, कुछ में चार्जफ्रेम हो चुके हैं, कई में लंबी अवधि से सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है

Mokama की सियासत – शक्ति, जनसमर्थन और सवाल

मोकामा क्षेत्र की राजनीति लंबे समय से बाहुबल और प्रभाव वाले नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
अनंत सिंह यहाँ लोकप्रिय भी हैं और विवादों के केंद्र में भी। विकास बनाम दबदबा — दोनों ध्रुवों पर चर्चा लगातार होती रहती है।

  • क्या जनता रिकॉर्ड देखकर वोट करती है, या फिर असर और प्रभाव अधिक निर्णायक हैं?
  • क्या इतने वर्षों तक चलने वाले मामले नेतृत्व की छवि पर असर नहीं डालते?
  • क्या आने वाले चुनावों में मतदाता हलफ़नामा पढ़कर निर्णय लेना शुरू करेंगे?

ये सवाल आगे की रिपोर्टिंग का सबसे महत्वपूर्ण आधार बनेंगे।

बिहार की राजनीति में यह उदाहरण बताता है कि आरोप और जनस्वीकृति समानांतर रूप से मौजूद रह सकती है।
हलफ़नामे और अदालतें एक तरफ कहानी लिखती हैं, जबकि चुनाव परिणाम अक्सर दूसरी तरफ इशारा करते हैं।
इस विरोधाभास को समझना — और जनता तक साफ तरीके से पहुँचाना — अब मीडिया और समाज दोनों की ज़िम्मेदारी है।

Disclaimer

यह रिपोर्ट केवल सार्वजनिक हलफ़नामे और उपलब्ध न्यायालयीय रिकॉर्ड पर आधारित है।इसमें किसी नेता के खिलाफ कोई नया आरोप या निर्णय प्रस्तुत नहीं किया गया है।सभी मामलों का अंतिम निष्कर्ष माननीय न्यायालय के निर्णय पर निर्भर है।

KhabarX Desk

सूत्रों, दस्तावेज़ों और जमीनी रिपोर्ट्स के आधार पर तथ्य सामने लाने वाली KhabarX टीम। हम निष्पक्ष पत्रकारिता, डेटा-आधारित रिपोर्टिंग और सत्य के पक्ष में खड़े हैं। तथ्यों को बिना रंग-रोगन के, जैसे हैं—वैसे ही पाठकों तक पहुँचाना हमारा ध्येय है।

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