Bihar Politics: गयाजी में लालू यादव का पिंडदान, जेडीयू का तंज और विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं

बिहार की राजनीति में धार्मिक परंपरा और तंज के बीच नई हलचल देखने को मिली। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को अपने परिवार के साथ गयाजी के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में पितरों का पिंडदान किया। उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बहू राजश्री और बेटी कात्यायनी भी मौजूद थीं। पितृपक्ष के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालु गयाजी पहुंचकर अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। इस बार लालू परिवार ने भी इस परंपरा का पालन किया।

लेकिन इस धार्मिक अनुष्ठान पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी शुरू हो गई। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि गयाजी श्रद्धा का प्रतीक है, लेकिन लालू यादव का नाम खौफ का प्रतीक है। उन्होंने तंज करते हुए यह तक कह दिया कि अगर पिंडदान करना ही है तो उन राजनीतिक पापों का भी कीजिए, जिनसे बिहार की जनता वर्षों तक परेशान रही।

नीरज कुमार के इस बयान पर आरजेडी ने पलटवार किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि जेडीयू नेताओं के पास न तो लोक आस्था है और न ही धार्मिक संवेदना। उन्होंने कहा कि बीजेपी पहले ही जेडीयू का राजनीतिक पिंडदान कर चुकी है, अब पितृपक्ष जैसे पावन मौके को राजनीति से जोड़ना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

कांग्रेस ने भी जेडीयू पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि पितरों का पिंडदान सनातन धर्म की परंपरा है। इसकी आलोचना करना मानसिक असंतुलन का संकेत है। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक कार्यों पर राजनीति करना हास्यास्पद है और जेडीयू नेताओं को इसके लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

बीजेपी ने इस पूरे विवाद पर अपेक्षाकृत संतुलित रुख अपनाया। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि पितृपक्ष में पिंडदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है और वह किसी भी धार्मिक परंपरा पर टिप्पणी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वह केवल भगवान से यही प्रार्थना करेंगे कि ऐसे धार्मिक संकेत लालू प्रसाद यादव के जीवन में बने रहें।

लालू प्रसाद यादव के इस धार्मिक अनुष्ठान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में धार्मिक आयोजनों को लेकर भी बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है। पितरों के प्रति श्रद्धा के इस मौके ने सत्ता और विपक्ष के बीच नए सियासी विवाद को जन्म दे दिया है।

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