नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान आधार कार्ड को 12वें पहचान दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाए। कोर्ट ने साफ किया कि आधार केवल पहचान का प्रमाण होगा, नागरिकता का नहीं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि आधार को नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी की प्रतिबद्धता दर्ज की कि आधार को एक स्वतंत्र पहचान दस्तावेज़ की तरह स्वीकार किया जाएगा।
साथ ही, आयोग को निर्देश दिया गया कि बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) को स्पष्ट आदेश जारी करें कि आधार स्वीकार किया जाए और उसकी सत्यता की जांच सुनिश्चित हो।
पृष्ठभूमि
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य जारी है।
- राज्य में कुल 7.24 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 99.5% लोगों ने पहले ही दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं।
- अब तक आयोग केवल 11 पहचान पत्रों को मान्यता दे रहा था, जिनमें वोटर कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि शामिल हैं।
- विपक्षी दलों (राजद, कांग्रेस, तृणमूल, AIMIM, PUCL, ADR) ने आरोप लगाया कि अधिकारियों को आधार स्वीकारने के स्पष्ट निर्देश नहीं मिल रहे, जिससे गरीब और वंचित तबके को सूची से बाहर किया जा सकता है।
राजनीतिक दलीलें
- कपिल सिब्बल (राजद की ओर से): आधार स्वीकार न करना गरीबों को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश है।
- अश्विनी उपाध्याय (याचिकाकर्ता): यदि अन्य 11 दस्तावेज़ उपलब्ध न हों, तो आधार को अनिवार्य रूप से मानना चाहिए।
- चुनाव आयोग का पक्ष: 99.6% मतदाताओं ने पहले ही दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं, इसलिए याचिका का कोई ठोस औचित्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख़
- कोर्ट ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23(4) के तहत आधार को पहचान दस्तावेज़ माना जा सकता है।
- लेकिन इसे नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
- कोर्ट ने 24 जून 2025 के SIR आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी।
- 28 जुलाई को कोर्ट ने चुनाव आयोग को 1 अगस्त से मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित करने से रोकने से इनकार किया।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिहार SIR प्रक्रिया में 65 लाख छूटे हुए दावों को ऑनलाइन भी स्वीकार किया जाए।
चुनाव आयोग को कहा गया कि आधार को पहचान के रूप में स्वीकारने और सत्यापन की पूरी प्रक्रिया पर नए निर्देश BLOs को जारी किए जाएँ।
अंतिम निर्णय आने तक आधार को 12वें पहचान दस्तावेज़ के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।