नई दिल्ली – देश की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने कर संरचना को सरल बनाने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह (GoM) की हालिया बैठक में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब को समाप्त करने पर सहमति बनी है।
सरकार का लक्ष्य है कि जीएसटी की वर्तमान जटिल दरों को घटाकर केवल 5% और 18% के दो मुख्य स्लैब में समाहित किया जाए। बैठक में यह प्रस्ताव केंद्र द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसे अधिकांश राज्यों ने सैद्धांतिक रूप से समर्थन दिया।
फिलहाल जीएसटी के तहत पाँच दरें लागू हैं – 0%, 5%, 12%, 18% और 28%।
इनमें से 12% और 28% की दरों में बड़ी संख्या में उपभोक्ता वस्तुएं और लग्ज़री आइटम शामिल हैं। अब इन्हें या तो 5% या 18% की दर में लाया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से टैक्स प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी।
आम जनता को कुछ वस्तुओं पर राहत मिल सकती है।
व्यापारियों के लिए टैक्स फाइलिंग और अनुपालन में आसानी होगी।
सरकार को उच्च दरों के हटने से होने वाले संभावित राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए वैकल्पिक उपाय करने पड़ सकते हैं।
कुछ राज्यों ने 28% स्लैब हटाने को लेकर आशंका जताई है। उनका कहना है कि तंबाकू, शराब जैसे पाप-उत्पादों (Sin Goods) से मिलने वाला राजस्व कम हो सकता है। परिषद इस विषय पर विस्तृत चर्चा करेगी।
यह प्रस्ताव अब जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा, जहां अंतिम निर्णय लिया जाएगा। परिषद की मंजूरी मिलने पर बदलाव को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
