दिल्ली/डेस्क:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जापान प्रवास के दौरान शनिवार को दारुम जी मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर के मुख्य पुजारी रेवरेंड सेशी हिरोसे ने उन्हें जापान की पारंपरिक दारुम गुड़िया भेंट की।
दारुम गुड़िया जापान में दृढ़ इच्छाशक्ति और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है। इसे ज़ेन बौद्ध धर्म के प्रवर्तक बोधिधर्म की स्मृति में बनाया गया है। परंपरा के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपना लक्ष्य तय करता है तो गुड़िया की एक आंख रंगी जाती है और लक्ष्य पूरा होने पर दूसरी आंख भी रंग दी जाती है। इसका गोल आकार जीवन की सीख देता है कि गिरने के बाद भी दोबारा उठना चाहिए।
भारत से गहरा रिश्ता:
दारुम गुड़िया की जड़ें भारत से भी जुड़ी हैं। इसे कांचीपुरम के भिक्षु बोधिधर्म से प्रेरणा लेकर बनाया गया था, जिन्हें जापान में दारुम दाइशी कहा जाता है। कहा जाता है कि बोधिधर्म ने नौ वर्षों तक दीवार की ओर मुख करके ध्यान किया था। इसी तपस्या का प्रतीक है दारुम गुड़िया, जो गोल आकार की होती है और जिसमें हाथ-पैर नहीं होते।