नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि दुनिया भर में सुनने की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक करीब 2.5 अरब लोग किसी न किसी स्तर पर सुनने में कठिनाई का सामना करेंगे। इनमें से लगभग 70 करोड़ लोग ऐसे होंगे जो पूरी तरह बहरे हो जाएंगे और बिना उपकरण के सुन नहीं पाएंगे।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि समय पर देखभाल न होने और इलाज की कमी के कारण सुनने की समस्या और गंभीर होती जा रही है। इस वजह से वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार पर हर साल लगभग 1000 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो रहा है।
सबसे चिंता की बात यह है कि यह समस्या अब युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। संगठन का अनुमान है कि लगभग 1 अरब युवा भविष्य में सुनने की क्षमता खोने के खतरे का सामना कर सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह लगातार तेज़ आवाज़ में संगीत सुनने और शोरगुल वाले वातावरण में लंबे समय तक रहना है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि थोड़े से प्रयास से इस खतरे को कम किया जा सकता है। यदि लोग साल में कम से कम एक बार कानों की जांच कराएं और अनावश्यक शोर से दूरी बनाएं तो स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इसके लिए प्रति व्यक्ति करीब 200 रुपये का वार्षिक खर्च पर्याप्त है।