Adani Project : बिहार में पिरपैंती थर्मल पावर प्लांट विवाद,कांग्रेस के 10 लाख पेड़ वाले आरोप की सच्चाई


बिहार के भागलपुर ज़िले के पिरपैंती में बनने वाले 2400 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। कांग्रेस ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि Adani Power Limited को इस प्रोजेक्ट के लिए 1,050 एकड़ ज़मीन मात्र ₹1 प्रति वर्ष की दर से दी गई है। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि इसी ज़मीन पर मौजूद 10 लाख पेड़ कंपनी को सौंप दिए गए हैं और किसानों को ज़बरन ज़मीन देने पर मजबूर किया गया।

लेकिन क्या यह सच है? क्या वास्तव में 10 लाख पेड़ काटे गए या काटे जाने वाले हैं?

कांग्रेस का आरोप

  • Pawan Khera (Congress) ने कहा:
    1. Adani Power को ज़मीन और पेड़ “सबकुछ मुफ्त में” दिया गया।
    2. यह सौदा 33 साल के लिए है।
    3. पहले सरकार ने खुद प्लांट लगाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में Adani को सौंप दिया।
    4. किसानों को धमकाकर और दबाव डालकर ज़मीन ली गई।
    5. बिहार के लोगों से दोहरा शोषण हो रहा है – उनकी ज़मीन भी गई और बिजली भी महंगी (₹6.075/unit) मिलेगी।

Reality Check: 10 लाख पेड़ों का सच

1. जमीन और पेड़ों की गणित

  • 1,050 एकड़ ज़मीन में 10 लाख पेड़ होना practically असंभव है।
  • एक पेड़ के लिए औसतन 100 वर्गफुट जगह चाहिए।
  • 10 लाख पेड़ों के लिए ~20,000 एकड़ से अधिक की ज़रूरत होती।
  • यानी कांग्रेस का आंकड़ा ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया लगता है।

2. स्थानीय हकीकत

  • पिरपैंती क्षेत्र कृषि-प्रधान है, यहां धान, गेहूँ, मक्का जैसी फसलें प्रमुख हैं।
  • आम, लीची और सागौन के पेड़ मिलते हैं, लेकिन इतनी भारी संख्या में orchard plantations documented नहीं हैं।
  • ज़िला प्रशासन की ओर से 10 लाख पेड़ होने की पुष्टि नहीं की गई।

3. पर्यावरणीय मंजूरी (Environmental Clearance)

  • किसी भी थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए Ministry of Environment से clearance लेना अनिवार्य है।
  • clearance report में पेड़ों की संख्या, प्रभावित कृषि भूमि और पुनर्वास योजना दर्ज होती है।
  • अब तक की रिपोर्ट्स में “10 लाख पेड़” का कोई आधिकारिक उल्लेख नहीं है।

4. राजनीतिक भाषण का पैटर्न

  • चुनावी या राजनीतिक हमले के समय बड़ी संख्या (जैसे लाखों-करोड़ों) का इस्तेमाल आम बात है।
  • “10 लाख पेड़” का दावा एक rhetorical exaggeration लगता है, ताकि मुद्दा media में बड़ा दिखे।

बिजली दर का मुद्दा

कांग्रेस ने कहा कि बिहार को बिजली ₹6.075/unit पर मिलेगी जबकि महाराष्ट्र/यूपी में यह ₹3-5/unit है।

  • यह भी पूरी तस्वीर नहीं है। बिजली दरें state agreements और PPA (Power Purchase Agreement) पर निर्भर करती हैं।
  • बिहार सरकार ने अभी तक इस दर पर आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

Adani और सरकार की चुप्पी

  • अब तक इस पूरे विवाद पर न Adani Group ने प्रतिक्रिया दी है,
  • न ही बिहार सरकार और न ही केंद्र सरकार ने कोई आधिकारिक बयान दिया है।
  • यानी अभी तक यह मामला “कांग्रेस का आरोप” बनाम “official silence” के बीच अटका हुआ है।
  • 1,050 एकड़ ज़मीन ₹1 प्रति वर्ष पर दी गई – यह दावा कई रिपोर्ट्स से मेल खाता है, लेकिन इसके कानूनी प्रावधान और शर्तें सामने आनी बाकी हैं।
  • 10 लाख पेड़ों का दावा – आंकड़े और भूगोल की दृष्टि से यह अव्यावहारिक है। इतनी बड़ी संख्या उस क्षेत्र में संभव नहीं है।
  • किसानों पर दबाव – इसपर ground reports और independent verification की ज़रूरत है।
  • बिजली दर – वास्तविक PPAs और टैरिफ समझौते पब्लिक होने के बाद ही स्पष्ट होगा।

 कुल मिलाकर, कांग्रेस के आरोपों में कुछ तथ्य हैं (ज़मीन आवंटन, project handover), लेकिन “10 लाख पेड़” वाला दावा अत्यधिक अतिरंजित और अपुष्ट लगता है।

यह रिपोर्ट उपलब्ध सूचनाओं और तथ्यों पर आधारित है; इसमें राजनीतिक आरोपों और आधिकारिक बयानों की पुष्टि नहीं की गई है।”

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn