भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र को नई गति देने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के मेगा पैकेज को मंजूरी दी है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 24 सितंबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में लिया गया।
सरकार का मानना है कि यह पैकेज न केवल भारत की शिपबिल्डिंग क्षमता को चार गुना बढ़ाएगा, बल्कि इसे दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा करेगा। लंबे समय से भारतीय जहाज निर्माण उद्योग वित्तीय चुनौतियों, तकनीकी कमी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा से जूझ रहा था। ऐसे में यह निर्णय भारतीय शिपयार्ड्स को नई जान देने के साथ-साथ रोजगार, निवेश और तकनीकी नवाचारों के नए अवसर खोलेगा।
पैकेज के मुख्य प्रावधान
नीचे दी गई तालिका में पूरे पैकेज की प्रमुख घोषणाओं का विवरण:
योजना/फंड | आवंटन (₹ करोड़) | उद्देश्य |
---|---|---|
Shipbuilding Financial Assistance Scheme (SBFAS) | 24,736 | 2036 तक बढ़ाया गया; शिपबिल्डिंग को प्रोत्साहन और शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट (₹4,001 करोड़) शामिल |
Maritime Development Fund (MDF) | 25,000 | लंबी अवधि की वित्तीय सहायता; इसमें 20,000 करोड़ का Maritime Investment Fund (49% केंद्र सरकार) और 5,000 करोड़ का Interest Incentivization Fund शामिल |
Shipbuilding Development Scheme (SbDS) | 19,989 | घरेलू क्षमता को 4.5 मिलियन ग्रॉस टन तक बढ़ाना, मेगा शिपबिल्डिंग क्लस्टर, इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार और बीमा समर्थन |
National Shipbuilding Mission | – | सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी |
संभावित प्रभाव
सरकार का अनुमान है कि इस पैकेज से—
- 4.5 मिलियन ग्रॉस टन की शिपबिल्डिंग क्षमता विकसित होगी
- लगभग 30 लाख नई नौकरियां सृजित होंगी
- करीब ₹4.5 लाख करोड़ का निवेश भारत के समुद्री क्षेत्र में आएगा
इसके साथ ही, भारतीय मैरीटाइम यूनिवर्सिटी के तहत India Ship Technology Centre स्थापित किया जाएगा, जो आधुनिक तकनीक और रिसर्च में अहम भूमिका निभाएगा।
भारत की समुद्री और शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री लंबे समय से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे रही है। लेकिन यह 69,725 करोड़ रुपये का पैकेज न केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।
यह कदम “आत्मनिर्भर भारत” और “मेक इन इंडिया” को भी नई गति देगा।