UP Poisoned Water Ground Report: ज़हर उगलते खेत – एक पीढ़ी बीमार

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाँव—शामली, बागपत और मुज़फ्फरनगर—में पानी और मिट्टी अब जीवन नहीं, बल्कि बीमारी फैला रहे हैं।गाँवों में फैक्ट्री का गंदा पानी नालों और तालाबों में गिरता है और धीरे-धीरे खेतों में रिसता है। वही पानी लोगों के घरों तक पहुँचता है। बच्चे, बूढ़े और महिलाएँ अब अज्ञात बीमारियों से जूझ रहे हैं। गाँव के लोग कहते हैं—“पानी पहले जीवन था, अब ज़हर है।

हमारी टीम ने बागपत और शामली के गाँवों का दौरा किया। तालाबों में फैक्ट्री का काला पानी बह रहा था। नहरें और नाले सूखे नहीं हैं, बल्कि गंदगी और रसायनों से भरे हैं।बच्चों का खेल मैदान भी अब पानी से गंदा हो गया है।किसान बताते हैं कि खेत में उगने वाली फसल में रसायन का असर दिख रहा है।ग्रामीणों के अनुसार, रात के समय फैक्ट्रियों से पानी छोड़ा जाता है, जिससे प्रशासन को पकड़ना मुश्किल होता है। रईस अहमद (किसान, मुज़फ्फरनगर) कहते हैं—“गन्ना उगाते-उगाते अब बच्चों का इलाज कराना पड़ता है। खेती से जो कमाते हैं, वह दवा पर चला जाता है।”

स्वास्थ्य संकट: कैंसर और बीमारियाँ बढ़ रही हैं

स्थानीय अस्पतालों के रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले 5 सालों में कैंसर, पेट दर्द, और अन्य गंभीर बीमारियों के केस तेज़ी से बढ़े हैं।डॉक्टरों का कहना है कि पानी और मिट्टी में मौजूद केमिकल्स और भारी धातुएँ मुख्य वजह हैं।कई परिवारों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी हिचकिचाहट जताई है। गाँव के लोग पूछ रहे हैं—“हम किसको भरोसा करें? हमारे बच्चों का भविष्य कौन देखेगा?”

अनीता देवी (गृहिणी, बागपत) कहती हैं—“मेरे पति कैंसर से जूझ रहे हैं। डॉक्टर ने साफ़ कहा—ये सब पानी की वजह से है। लेकिन प्रशासन सिर्फ़ नोटिस भेजता है, काम कुछ नहीं होता। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि शुगर मिल, पेपर मिल और कैमिकल फैक्ट्रियाँ गंदा पानी नालों और खेतों में छोड़ती हैं।प्रशासन कभी-कभी नोटिस भेज देता है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होती।रिपोर्टों में ज़्यादातर डेटा कागज़ों तक सीमित रह जाता है।स्थानीय अधिकारी का कहना है—“हम जांच कर रहे हैं। जल्द ही स्थिति ठीक की जाएगी।”
लेकिन गाँव के लोग सवाल पूछते हैं—

गाँव के बच्चे अब खेल-कूद की बजाय बीमारियों से जूझ रहे हैं। स्कूलों में पानी का इस्तेमाल मुश्किल हो गया है।

बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित है। परिवार अब खेती की बजाय दवा और इलाज पर खर्च कर रहे हैं। शादी-ब्याह की चर्चाओं में भी पानी की शुद्धता एक नया पैमाना बन गया है।

यह रिपोर्ट दिखाती है कि पश्चिमी यूपी के गाँव कागज़ पर योजनाओं के बावजूद वास्तविक संकट में हैं।ज़हरीला पानी बीमारियों का बढ़ता ग्राफप्रशासन की धीमी कार्रवाई

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn