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पुलवामा हमले में ई-कॉमर्स के ज़रिए खरीदे गए विस्फोटक: FATF की चौंकाने वाली रिपोर्ट

On: July 25, 2025 6:59 PM
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नई दिल्ली: आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के तरीकों पर नज़र रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने एक विस्फोटक रिपोर्ट में दावा किया है कि आतंकवादी संगठन अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और डिजिटल पेमेंट सेवाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में भारत के पुलवामा हमले (2019) और गोरखनाथ मंदिर हमला (2022) को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया है।

पुलवामा हमले में Amazon जैसे प्लेटफॉर्म से खरीदा गया था विस्फोटक सामग्री
FATF की रिपोर्ट में बताया गया कि 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले में इस्तेमाल किए गए एल्यूमीनियम पाउडर, जो IED विस्फोटकों की क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी होता है, को एक ई-कॉमर्स वेबसाइट के ज़रिए ऑर्डर किया गया था। इस हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे और इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने ली थी।

जांच में सामने आया कि आतंकियों ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग केवल सामान मंगाने के लिए नहीं बल्कि पूरे ऑपरेशन की तैयारी में किया। मामले में 19 लोगों पर आरोप तय किए गए, जिनमें 7 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। जांच के दौरान कई वाहन, छिपने के ठिकाने और अन्य संसाधन बरामद किए गए।

गोरखनाथ मंदिर हमला: डिजिटल पेमेंट से ISIS को भेजे पैसे
FATF ने अप्रैल 2022 में गोरखनाथ मंदिर पर हुए हमले को भी विस्तार से अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। इसमें एक ISIS-प्रेरित हमलावर ने सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया था। जांच में पता चला कि उसने PayPal के ज़रिए लगभग ₹6.7 लाख विदेशी खातों में ट्रांसफर किए, जो ISIL (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवंत) से जुड़े थे।

हमलावर ने 44 अंतरराष्ट्रीय लेन-देन किए, VPN सेवाओं का उपयोग कर लोकेशन छिपाई, और भारत में मौजूद अपने बैंक खाते से भुगतान किया। जब PayPal को इस गतिविधि पर संदेह हुआ, तो उसने उस खाते को सस्पेंड कर दिया।

डिजिटल तकनीक और आतंक का नया गठजोड़
FATF की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि फिनटेक (FinTech) प्लेटफॉर्म्स का तेज़ी से बढ़ता उपयोग आतंकवादियों को गुमनाम और तेजी से लेन-देन करने का माध्यम दे रहा है। अब आतंकी संगठन:

सोशल मीडिया के ज़रिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं,

ऑनलाइन छोटे उत्पाद बेचकर धन जुटा रहे हैं,

3D प्रिंटेड पुर्जे और रसायन खरीद रहे हैं,

और Peer-to-Peer (P2P) भुगतान के ज़रिए पहचान छिपा रहे हैं।

इन तकनीकों की मदद से आतंकवाद अब केंद्रीकृत न होकर विकेंद्रीकृत रूप में फंडिंग और संचालन कर रहा है, जिससे इन पर नज़र रखना और भी मुश्किल हो गया है।

राज्य प्रायोजित आतंकवाद पर भी उठी उंगली
FATF ने यह भी संकेत दिया कि कुछ देश अब भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को समर्थन दे रहे हैं। रिपोर्ट में किसी देश का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन यह जरूर कहा गया कि कई स्रोतों से मिले प्रमाणों में राज्य-प्रायोजित आतंकवाद की संभावनाएं स्पष्ट हैं।

भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है और अब FATF की इस रिपोर्ट के बाद एक बार फिर पाकिस्तान को FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग ज़ोर पकड़ रही है।

पहल और निगरानी की ज़रूरत
FATF ने सभी सदस्य देशों से अपील की है कि वे:

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़ाएं,

VPN और डिजिटल वॉलेट के दुरुपयोग को रोकें,

और डिजिटल लेन-देन के पारदर्शी और सुरक्षित उपाय लागू करें।

पहलगाम हमला: डिजिटल फंडिंग के बिना नहीं हो सकता था अंजाम
रिपोर्ट में हाल ही में हुए अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र भी किया गया है जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। FATF ने कहा कि ऐसा हमला बिना वित्तीय सहायता और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के संभव नहीं होता।

Need to be Focused
FATF की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि आतंकवाद अब केवल बंदूक और बारूद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने डिजिटल दुनिया में भी अपनी जड़ें जमा ली हैं। भारत समेत सभी देशों को अब सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि साइबर और ई-कॉमर्स सीमाओं पर भी लड़ाई लड़नी होगी।

Mission Aditya

Founder – KhabarX | Student | Patriotic Youth Ambassador (VPRF) 🇮🇳 Amplifying unheard stories, questioning silence, and building journalism powered by truth, tech & youth. Purpose-led. Change-driven.

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