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बिहार की बाढ़ चुनौती 2025: सरकार, सिस्टम और सच्चाई

On: July 25, 2025 6:58 PM
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एक ज़रूरी सवाल, जिससे करोड़ों ज़िंदगियाँ जुड़ी हैं

हर साल की तरह 2025 में भी बिहार के ऊपर मॉनसून के बादल मंडरा रहे हैं। जून के आख़िरी हफ्ते से शुरू हुई बारिश अब जुलाई में ज़ोर पकड़ चुकी है। सवाल वही है जो हर साल पूछा जाता है — क्या बिहार बाढ़ के लिए तैयार है? लेकिन इस बार सिर्फ़ सवाल नहीं, सच्चाई जाननी ज़रूरी है।

1. कौन-कौन से ज़िले खतरे में हैं?

बिहार के उत्तर और पूर्वी हिस्से हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं। 2024 की रिपोर्ट और पिछले दशक के डेटा के आधार पर 2025 में भी निम्न ज़िले सबसे अधिक जोखिम में हैं:

  • सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, अररिया, किशनगंज – नेपाल से निकलने वाली नदियों के कारण
  • मुज़फ़्फ़रपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, सारण, गोपालगंज – गंडक, कोसी, बागमती जैसी नदियों से संकट

इन ज़िलों में लगभग 2 करोड़ से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं।

2. 2024 की बाढ़: पिछली साल की सच्चाई

  • 15 ज़िले बुरी तरह प्रभावित
  • 56,000+ लोग राहत शिविरों में पहुँचे
  • 180+ मौतें दर्ज की गईं
  • 1200+ करोड़ रुपये का सीधा आर्थिक नुकसान

क्या बदला 2025 में?

राज्य सरकार ने दावा किया है कि:

  • 500+ राहत शिविरों की तैयारी की गई है
  • 24×7 हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम एक्टिव
  • SDRF की 26 टीमें 15 ज़िलों में तैनात
  • ड्रोन से निगरानी और सैटेलाइट इमेजिंग की व्यवस्था

लेकिन ज़मीनी सच्चाई क्या है?

3. ग्राउंड से रिपोर्ट्स: क्या तैयारी सच में दिख रही है?

दरभंगा से रिपोर्ट: बागमती नदी के किनारे बसे गांवों में अभी भी बाढ़ से बचाव के लिए नाव नहीं पहुँची है। स्थानीय निवासी रंजीत मंडल बताते हैं — “सरकार हर बार बोलती है पर नाव तो हम खुद किराए पर लाते हैं।”

सीतामढ़ी: स्कूल को राहत शिविर घोषित कर दिया गया है, लेकिन उसमें ना शौचालय की व्यवस्था है और ना ही पर्याप्त खाना-पानी।

अररिया: कुछ जगहों पर मोबाइल नेटवर्क तक बंद हो चुका है, जिससे हेल्पलाइन से संपर्क भी संभव नहीं।

4. तकनीक और प्रशासन: सिर्फ़ कागज़ों पर?

  • बांधों की सफ़ाई नहीं हुई समय पर – खगड़िया और समस्तीपुर से रिपोर्ट मिली है कि ड्रेनेज सिस्टम अभी भी अवरुद्ध है।
  • डीजल पंप और नाव की उपलब्धता – 60% जगहों पर अब भी निजी साधनों पर निर्भरता
  • ग्रामीण अलर्ट सिस्टम – बाढ़ चेतावनी का SMS अलर्ट सिस्टम अभी भी प्रयोगिक स्तर पर

5. जनता की आवाज़: सवाल जो हर साल अनसुने रह जाते हैं

  • हर साल NDRF की टीम भेजी जाती है, पर कब?
  • राहत शिविर बनते हैं, पर शौचालय और दवाइयाँ क्यों नहीं होती?
  • फसल बीमा और नुकसान मुआवज़ा सिर्फ़ विज्ञापन तक सीमित क्यों?

 क्या 2025 की तैयारी पर्याप्त है?

सरकार का दावा है कि बिहार पहले से बेहतर तैयार है। लेकिन ग्राउंड पर दिख रहा है कि तैयारी अभी भी अधूरी है

बाढ़ सिर्फ़ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, ये एक प्रशासनिक परीक्षा है — जिसमें हर बार बिहार का सिस्टम फेल होता है। 2025 में अगर हम यही सवाल फिर से पूछ रहे हैं, तो जवाबों की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ सरकार की नहीं, हम सबकी है।

 KhabarX की अपील:

अगर आप बाढ़ प्रभावित इलाके में हैं, तो अपनी कहानी हमें भेजें। KhabarX जनता की पत्रकारिता के लिए है — आपके अनुभव, आपकी आँखों से देखी सच्चाई हम सामने लाएँगे।

Mission Aditya

Founder – KhabarX | Student | Patriotic Youth Ambassador (VPRF) 🇮🇳 Amplifying unheard stories, questioning silence, and building journalism powered by truth, tech & youth. Purpose-led. Change-driven.

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